मंडी, 25 मई: उत्तरी भारत में पहली बार मंडी में यूएचपीएफआरसी यानी Ultra High-Performance Fiber Reinforced Concrete तकनीक से तीन पुलों का निर्माण किया जा रहा है। ये पुल मंडी से पंडोह के बीच बन रहे फोरलेन पर तैयार हो रहे हैं। इस तकनीक में स्टील की जगह फाइबर का इस्तेमाल किया जाता है और इसका वजन पारंपरिक कंक्रीट वाले गडर से कम होता है। इन्हें इंस्टॉल करना आसान होता है और इससे समय तथा संसाधनों की भी बचत होती है।
तीन पुलों का निर्माण कार्य जारी
एनएचएआई ने इस तकनीक को 2022 में मंजूरी दी थी। अब पहली बार मंडी जिले में इसका इस्तेमाल हो रहा है। नई तकनीक से बने गडर को पुणे से मंगवाया गया है। गुणवत्ता की जांच भी पुणे में ही हुई है। मंडी से पंडोह के बीच सांबल, आठ मील और नौ मील में बन रहे पुलों में इन गडर का उपयोग हो रहा है।
एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर वरुण चारी के अनुसार यह तकनीक यहां पहली बार प्रयोग की जा रही है। पुलों को मानसून से पहले तैयार कर लिया जाएगा, जिससे फोरलेन पर यात्रा और अधिक सुगम हो जाएगी।
तकनीक की मुख्य विशेषताएं
- यूएचपीएफआरसी पारंपरिक कंक्रीट की तुलना में अधिक मजबूत और टिकाऊ है।
- यह खारे पानी और अन्य हानिकारक तत्वों के प्रति अधिक प्रतिरोधी है।
- कम रखरखाव की आवश्यकता होती है।
- यह तकनीक लंबे पुलों, सुरंगों, जलाशयों और पाइपलाइन में उपयोग की जा सकती है।
- इसमें एफ 155 ग्रेड कंक्रीट का उपयोग होता है जबकि पारंपरिक गडर में एम 50।
पुलों का निर्माण कार्य केएमसी कंपनी द्वारा किया जा रहा है और प्रोजेक्ट मैनेजर सत्या के अनुसार कार्य तेजी से जारी है। यह तकनीक भविष्य में उत्तर भारत में पुल निर्माण की दिशा बदल सकती है।